Hai muskurata phool kaise titliyon se pooch lo

है मुस्कुराता फूल कैसे तितलियों से पूछ लो
जो बीतती काँटों पे है, वो टहनियों से पूछ लो 

लिखती हैं क्या किस्से कलाई की खनकती चूडि़याँ 
सीमाओं पे जाती हैं जो उन चिट्ठियों से पूछ लो 

होती है गहरी नींद क्या, क्या रस है अब के आम में
छुट्टी में घर आई हरी इन वर्दियों से पूछ लो 

होती हैं इनकी बेटियाँ कैसे बड़ी रह कर परे 
दिन-रात इन मुस्तैद सीमा-प्रहरियों से पूछ लो 

जो सुन सको किस्सा थके इस शह्‍र के हर दर्द का
सड़कों पे फैली रात की ख़ामोशियों से पूछ लो 

लौटा नहीं है काम से बेटा, तो माँ के हाल को
खिड़की से रह-रह झाँकती बेचैनियों से पूछ लो 

गहरी गईं कितनी जड़ें तब जाके क़द ऊँचा हुआ 
आकाश छूने की कहानी फुनगियों से पूछ लो 

लब सी लिए सबने यहाँ, सच जानना है गर तुम्हें 
ख़ामोश आँखों में दबी चिंगारियों से पूछ लो

Gautam rajrishi

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