Shayrana
Shayrana si hai Zindgi ki Fiza
ज़ब्त से काम लिया दिल ने तो क्या फ़ख़्र करूँ इसमें क्या इश्क की इज़्ज़त थी कि रुसवा न हुआ
वो शक्स जो दीवानो की इज़्ज़त नहीं करता उस शक्स का चाख-गरेबान किया जाए॥