सोच रहा हूँ मर ही जाऊ आज…
शायद कब्र पर ही कोई गुलाब ले आये…!
सोच रहा हूँ मर ही जाऊ आज…
शायद कब्र पर ही कोई गुलाब ले आये…!
हथेलियों पर मेहँदी का ज़ोर ना डालिये,
दब के मर जाएँगी मेरे नाम कि लकीरें…
जनाजा मेरा देखकर….बोली वो….!!
वो ही मरा क्या, जो मुझ पर मरता था….!!!
जिसकी मुहब्बत में मरने के लिए तैयार थे हम
आज उसी की बेवफाई ने हमे जीना सीखा दिया