हथेलियों पर मेहँदी का ज़ोर ना डालिये,
दब के मर जाएँगी मेरे नाम कि लकीरें…
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Naam
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
Khat
इक ख़त कमीज़ में उसके नाम का क्या रखा,
क़रीब से गुज़रा हर शख्स पूछता है कौन सा इत्र है जनाब।।
Naam
ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं मगर दिल अक्सर
नाम सुनता हैं तुम्हारा तो उछल पड़ता हैं