Shayrana
Shayrana si hai Zindgi ki Fiza
कट गई झगड़े में सारी रात वस्ल-ए-यार की शाम को बोसा लिया था, सुबह तक तक़रार की
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये