अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहब्बत को वार दें
इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ
Category: Ahmed Faraz
Juda
उसको जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ
अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ
Chaal
जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना
मुझे गुमाँ भी ना हो और तुम बदल जाना
Dosti
अगर तुम्हरी ही आन का है सवाल
तो चलो मैं हाथ बढ़ता हूँ दोस्ती के लिए