Bada udas safar hai hamare sath raho

बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो,
बस एक तुम पे नज़र है हमारे साथ रहो ।

हम आज ऐसे किसी ज़िन्दगी के मोड़ पे हैं,
न कोई राह न घर है हमारे साथ रहो ।

तुम्हें ही छाँव समझकर हम आ गए हैं इधर,
तुम्हारी गोद में सर है हमारे साथ रहो ।

ये नाव दिल की अभी डूब ही न जाए कहीं
हरेक साँस भँवर है हमारे साथ रहो ।

ज़माना जिसको मुहब्बत का नाम देता रहा,
अभी अजानी डगर है हमारे साथ रहो ।

इधर चराग़ धुएँ में घिरे-घिरे हैं ‘कुँअर’
उधर ये रात का डर है हमारे साथ रहो ।

– कुँअर बेचैन

Dilo me nafrate hai ab, muhabbato ka kya hua

दिलों में नफ़रतें हैं अब, मुहब्बतों का क्या हुआ,
जो थीं तेरे ज़मीर की अब उन छतों का क्या हुआ ?

बगल में फ़ाइलें लिए कहाँ चले किधर चले,
छुपे थे जो किताब में अब उन ख़तों का क्या हुआ ?

ज़रा-ज़रा-सी बात पे फफक पड़े या रो पड़े,
वो बात-बात में हँसी की आदतों का क्या हुआ ?

लिखे थे अपने हाथ से जो डायरी में आपने,
नई-नई-सी ख़ुशबुओं के उन पतों का क्या हुआ ?

कि जिनमें सिर्फ़ प्यार की हिदायतें थीं ऐ ‘कुँअर’
वो मन्त्र सब कहाँ गए उन आयतों का क्या हुआ ?

– कुँअर बेचैन

Shor ki is bheed me khamosh tanhai si tum

शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई-सी तुम
ज़िन्दगी है धूप, तो मदमस्त पुरवाई-सी तुम

आज मैं बारिश मे जब भीगा तो तुम ज़ाहिर हुईं
जाने कब से रह रही थी मुझमें अंगड़ाई-सी तुम

चाहे महफ़िल में रहूं चाहे अकेले में रहूं
गूंजती रहती हो मुझमें शोख शहनाई-सी तुम

लाओ वो तस्वीर जिसमें प्यार से बैठे हैं हम
मैं हूं कुछ सहमा हुआ-सा, और शरमाई-सी तुम

मैं अगर मोती नहीं बनता तो क्या बनता ‘कुँअर’
हो मेरे चारों तरफ सागर की गहराई-सी तुम

– कुँअर बेचैन

Wo din humko kitne suhane lagenge

वो दिन हमको कितने सुहाने लगेंगे,
तेरे दर पे जब आने जाने लगेंगे

कोई जब तुम्हें ध्यान से देख लेगा,
उसे चाँद सूरज पुराने लगेंगे

रहूं मैं मुहब्बत की इक बूँद बनकर,
तो सागर भी मुझमें नहाने लगेंगे

ये अपना मुकद्दर है आंधी चलेगी,
कि जब हम नशेमन बनाने लगेंगे

पता तो है मुझमे बसे हो कहीं पर
मगर ढूँढने में ज़माने लगेंगे

कहो फिर यकीं कौन किस पर करेगा,
अगर अपने ही, दिल दुखाने लगेंगे

बनोगे जो धरती के तुम चाँद-सूरज
तो सातों फलक सर झुकाने लगेंगे

मुहब्बत कि नज़रों से जो देख लोगे,
तो हम भी ‘कुँअर’ मुस्कुराने लगेंगे

– कुँअर बेचैन