शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा
दिल में घर करके मेरी जान ये परदा कैसा
Category: Husn/ Taareef Shayri
Palake
आँखों में तेरी ज़ालिम छुरियाँ छुपी हुई हैं
देखा जिधर को तूने पलकें उठाके मारा
Nigah
सोचा था नही करेगे कभी किसी से मोहब्बत…
पर तुम्हारी उन निगाहो ने…
मेरे दिल को ही मेरे खिलाफ कर दिया…
Chand
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं