Ishq fana ka naam hai

इश्क़ फ़ना  का नाम है इश्क़ में ज़िन्दगी न देख 
जल्वा-ए-आफ़्ताब  बन ज़र्रे में रोशनी न देख 

शौक़ को रहनुमा बना जो हो चुका कभी न देख 
आग दबी हुई निकाल आग बुझी हुई न देख 

तुझको ख़ुदा का वास्ता तू मेरी ज़िन्दगी न देख 
जिसकी सहर भी शाम हो उसकी सियाह शबी  न देख

Jigar moradabadi

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