Khainchi labo ne aah ki sine pe aaya haath

खैंची लबों ने आह कि सीने पे आया हाथ ।
बस पर सवार दूर से उसने हिलाया हाथ ।

महफ़िल में यूँ भी बारहा उसने मिलाया हाथ ।
लहजा था ना-शनास  मगर मुस्कुराया हाथ ।

फूलों में उसकी साँस की आहट सुनाई दी,
बादे सबा ने चुपके से आकर दबाया हाथ ।

यँू ज़िन्दगी से मेरे मरासिम हैं आज कल,
हाथों में जैसे थाम ले कोई पराया हाथ ।

मैं था ख़मोश जब तो ज़बाँ सबके पास थी, 
अब सब हैं लाजवाब तो मैंने उठाया हाथ ।

Ana kasmi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *