Roshan

अभी तक दिल में रोशन हैं तुम्हारी याद के जुगनू
अभी इस राख में चिन्गारियाँ आराम करती हैं

Jazbaat

आशिक़ी लिखें, दीवानगी लिखें, या
अपनी ख़ामोशी लिखें …
दिल के जज़्बात अब अल्फ़ाज़ नहीं बनते,
आखिर आज क्या लिखें…

Mazak

हमें सताने की ज़रूरत क्या थी,
दिल मेरा जलाने की ज़रूरत क्या थी,
इश्क नही था मुझसे तो कह दिया होता,
मजाक मेरा यूँ बनाने की ज़रूरत क्या थी