Shayrana
Shayrana si hai Zindgi ki Fiza
अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र के हम है रुख हवाओ का जिधर का है उधर के हम है
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे